दैनिक जीवन में रसायन का उपयोग II Dainik Jeevan Me Rasayan Ka Upyog

दैनिक जीवन में रसायन का उपयोग हमारे जिदंगी में अहम् भूमिका निभाता है 
दैनिक जीवन में रसायन(Chemistry in everyday life)

हमारे मानव में रसायन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है | मानव जीवन में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन होती है तथा इन बीमारियों को दूर करने के लिए विभिन्न औषधियों का प्रयोग किया जाता है अतः “ वे रासायनिक पदार्थ जिनका प्रयोग रोगों के निदान दर्द निवारण आदि में किया जाता है तथा जो मानसिक एवम शारीरिक गतिविधियों के सम्यक निर्वहन संचालन में सहयाक होते है औषधी (Medicine) कहलाते है |” विभिन्न रोगों के लिए दवाओ का समुचित course चलता है | आवश्यकता से अधिक दवा लेने पर साइड इफ़ेक्ट भी होता है | तथा साथ ही साथ किसी-किसी को एलर्जी भी होता है | अतः औषधी का प्रमुख गुण यह भी है की इसकी क्रिया स्वानिकृत होनी चाहिए जहाँ इनकी आवश्यकता है |

ज्वरनाशक (Antipyretic )

वह रासायनिक पदार्थ जिनका प्रयोग उच्च ज्वर (high fever) में ताप कम करने के लिए किया जाता है ज्वरनाशी कहलाता है | Ex – Aspirin , Paracetamol ….etc.

इन सबो में Paracetamol श्रेष्ठ ज्वरनाशक है | Aspirin ज्वरनाशक तथा सुजन कम करने की दवा के साथ साथ प्रभावकारी दर्दनाशक है | परन्तु कई लोगो को Aspirin से allergy भी होती है अतः Aspirin को खाली पेट नहीं खाना चाहिए |

दर्दनाशक(Analgesics)

वे औषधी जो विना वेहोशी मानसिक उलझन एवम अन्य तंत्र किये कुप्रभावो के दर्द को कम करता है दर्दनाशक कहलाता है ,दर्दनाशक दो प्रकार के होते है |

 निद्रांकारी दर्दनाशक (Narcotic Analgesic)

 वे औषधी जिनकी सूक्ष्म मात्रा से दर्द तो कम होती ही है परन्तु साथ ही साथ मृदा (नींद) या वेहोशी उत्पन होती है | ये मुख्यतः अफीम उत्पाद होते है | जैसे–मोर्फिन ,कोकीन ,हेरोइन …इत्यादि.

अनिद्रांकारी दर्दनाशक(Non narcotic analgesic)

वे औषधी जो बिना वेहोशी मानसिक उत्पन तथा वेहोशी के दर्द को कम करती है |

Aspirin तथा Paracetamol अतिलोकप्रिय अनिद्राकरी  है | इनके कई अन्य प्रभाव भी है | ये दर्द को तो कम करते ही है तथा साथ ही साथ बुखार सुजन एवम रक्त के थका बनने की प्रक्रिया को भी कम करती है | आजकल Aspirin का प्रयोग हार्ट-अटैक  में किया जा रहा है | अतः Aspirin का अत्यधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अमाशय में अम्ल की मात्रा को बढ़ा  देता है जिससे अल्सर बनने का खतरा बना रहता है |

 प्रतिजैविक(Antibiotics)

 प्रतिजैविक वे रासायनिक पदार्थ है जो जीवित कोशिकाओ से प्राप्त अथवा निर्मित होते है तथा सूक्ष्मजीव की जीवन प्रक्रिया को बाधित करते है या उन्हें नष्ठ कर देते है | सर्वप्रथम 1929 ई. में Alexzender flaming नामक वैज्ञानिक ने पेंसिलिन प्रतिजैविक की खोज की सभी दवाओ में प्रतिजैविक सबसे महत्वपूर्ण है | इनका प्रयोग बैक्टीरिया ,फफूदी तथा वारस  द्वारा उत्पन संक्रमण रोगों के विरोध किया जाता है |

प्रतिजैविक में सूक्ष्म जीवो की वृधि को रोकने तथा इनको नष्ठ कर देने की क्षमता होती है | सूक्ष्म की वृधि को रोकने की क्षमता वाले प्रमुख प्रतिजैविक erythromycin , tetracyline and chloromystin etc है | जब की सूक्ष्म जीवो को नष्ठ करने की क्षमता वाले प्रमुख प्रतिजैविक पेंसिलिन है |

 प्रतिअम्ल(Antacids)

हमारे पेट में HCl भोजन को पचाने में सहायक होते है | परन्तु यदि इसकी मात्रा सामान्य से अधिक हो जाये तब पेट में अम्लीयता या गैस की शिकायत होती है ऐसा आवश्यक से अधीक भोजन तीखे एवं मसालेदार भोजन , चिंता एवं तनाव इत्यादि से होता है | अतः इसके प्रभावों को कम करने के लिए Antacids मुख्य रूप से क्षारीय पदार्थ होता है | जो पेट में पहुचकर सभी अम्ल प्रभाव को उदासीन कर देता है |जैसे  – Aluminiumhydroxide,Magnessiumhydroxide,SodiumbiCorbnate….etc. महत्वपूर्ण  Antacids है | वैसे तो प्रतिअम्ल अम्लीयता को कम करता है | परन्तु इससे अम्लीयता का अस्थाई निदान नहीं हो पाता है अतः खान पान पर उचित देख रेख से ही इस पर हद तक काबू पाया जा सकता है 

प्रभान्तक/उपशामक(Tranquilizers )

वे रसायन जिनका प्रयोग मानसिक तनाव को घटाने तथा कम करने में बिना चेतना को परिवर्तनशील किये अर्थात बिना वेहोश किये किया जाता है |प्रशांतक को मनो चिकित्सकीय ओषधी के नाम से भी जाना जाता है | जैसे-लुमिनल,सेकोनल,डाइजीपाँम ……इत्यादि .

ऐन्टीहिस्टामिन(Antihistamine )

 शरीर में Allergy के कारण उत्पन हुए रोगों को कम करने के लिए एंटीहिस्टामिन  दवाओ का प्रयोग किया जाता है |वातावरण में उपस्थित धुल कण पराग कण इत्यादि के कारण हमारे शारीर में allergy उत्पन हो जाता है जिससे हमारे शारीर से हिस्टामिन लुप्त होने लगता है | जिसके फलस्वरूप अत्यधिक छिक आती है तथा नाक बहने लगता है अतः ऐसी स्थिति में एंटीहिस्टामिन  दवाओ का प्रयोग किया जाता है |

व्रहद परास प्रतिजैविक(Broad Spectrum Antibiotics)

विभिन्न प्रकार के हानिकारक एवं सूक्ष्मजीवो को नष्ट करने के लिए Broad Spectrum Antibiotics का प्रयोग किया जाता है | यह एक ही साथ कई संक्रमणों का इलाज करता है | chlorophenical Tetracyline , Chloromystin etc. Broad Spectrum Antibiotics है | इन सबो में Chloromphenicol श्रेष्ठ है यह शीघ्रता से जथराज्ञनी में अवशोषित हो जाते है | अतः तीव्र ज्वर , टाईफाईड , मूत्र नलिका संक्रमण डायरिया मस्तिस्क का ज्वर कुकुर खाशी etc. में प्रयोग किया जाता है |

पुर्तिरोधी (Antiseptic)

वे रसायन जो सूक्ष्मजीवो को मरते है या उनकी वृधि को रोकते है Antiseptic कहलाते है | Antiseptic जीवित उतको को हनी नहीं पहुचाते है | उनका प्रयोग घावो एवं कटे स्थानों आदि प् किया जाता है|Dettol 4.8% क्लोरोजाइलीनॉल + 9.9% टेपीनॉल का मिश्रण  होता है, Sevlon, Boric acid , tincture iodine ( अल्कोहल  जल से बना घोल जिसमे 2-3% iodine रहता है )

विसंक्रामाक (Disinfectant)

 वे रसायन जो जीवअणुओ एवं सूक्ष्मजीवो को शीघ्रता से नष्ट कर देते है | इनका प्रयोग बर्तनों की सफाई ,घर की फर्श की सफाई प्रयोग उपकरणों तथा सेंट्रिंग  इत्यादि में किया जाता है | Ex – Phenol , Hydrogenperoxide ,Bleaching powder , Sulpherdioxide ..etc.

Antiseptic and Disinfectant दोनों समानो रूपों में भी कार्य का रहते है परन्तु यह इनकी समुन्द्र पर निर्भर करता है | कम सांद्रता में ये एंटीसेप्टिक होते है | जबकि अधिक सांद्रता में ये विसंक्रामक हो जाते है वास्तव में ये विसंक्रामक जीवित घटकों के लिए हानिपद होते है अतः त्वचा पर प्रयुक्त नहीं किये जाते है | जैसे – Phenol का 0.2% घोल Antiseptic का कार्य करता है जबकि 1 से 2 % घोल विसंक्रामक हो जाता है | 

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